Homeबड़ी खबरेसंघर्षों की प्रतिमूर्ति थे बुलंदियों पर पहुंचने वाले पद्मश्री पद्मविभूषण रतन टाटा

संघर्षों की प्रतिमूर्ति थे बुलंदियों पर पहुंचने वाले पद्मश्री पद्मविभूषण रतन टाटा

फोटो साभार सोशल मीडिया

रतन टाटा की मृत्यु ने समूचे विश्व को झकझोर का रख दिया है। रतन टाटा आज हमारे बीच नहीं हैं लेकिन उनके आदर्श आज भी आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है। 86 वर्ष की उम्र में शरीर त्यागने वाले टाटा ने अपने पीछे 3800 करोड़ का अंपायर खड़ा किया। रतन टाटा का नाम भले ही शीर्ष के अमीर उद्योगपतियों में न हो लेकिन दान के मामले में टाटा शीर्ष पर हैं। जी हां एडेलगिव फाउंडेशन और हुरून रिपोर्ट 2021 के मुताबिक टाटा ग्रुप के संस्थापक जमशेद जी टाटा को पिछली सदी का सबसे बड़ा दानवीर बताया गया है। दानदाताओं के मामले में टाटा ने माइक्रोसॉफ्ट के फाउंडर बिलगेट्स को भी पीछे छोड़ दिया है। उन्होने कुल 829734 करोड़ रूपए दान किया है।रतन टाटा आज भी टाटा ट्रस्ट होल्डिंग के तहत फर्मों द्वारा की गई अपनी कमाई का 60-70% हिस्सा दान करते हैं। वर्तमान में टाटा ट्रस्ट भारत में सबसे प्रतिष्ठित और स्थापित चैरिटेबल फाउंडेशन में से एक है। रतन टाटा के नेतृत्व में टाटा ग्रुप ने भारत में स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा को बेहतर बनाने में अहम भूमिका निभाई है।

संघर्षों में बीता रतन टाटा का बचपन

फोटो साभार सोशल मीडिया

28 सितंबर 1937 को जन्में रतन टाटा के जीवन में यूं तो किसी चीज की कमी नहीं थी लेकिन फिर भी उनका बचपन काफी संघर्षों में बीता।माता पिता के तलाक ने टाटा और उनके भाई को पूरी तरह से हिला कर रख दिया। रतन टाटा ने पापुलर फेसबुक पेज ह्यूमन ऑफ बॉम्बे से बातचीत में बताया था कि उनके माता पिता के तलाक का उनपर और उनके भाई पर क्या प्रभाव पड़ा। साथ ही साथ रतन टाटा ने जीवन भर दादी के सपोर्ट और अपने नाकाम प्यार को भी साझा किया है। पेज से बातचीत के दौरान रतन टाटा ने कहा कि उनका बचपन शुरुआत में काफी खुशहाल थे लेकिन माता पिता के तलाक ने उनको और उनके भाई को पूरी तरह से तोड़कर रख दिया। इस परिस्थिति में उन्हें उनकी दादी ने संभाला और सिखाया की किसी भी कीमत पर आत्मसम्मान को बचाकर रखना चाहिए। कालेज खत्म होने के बाद रतन टाटा को नौकरी और प्यार दोनों एक साथ मिला लेकिन यह ज्यादे दिन तक नहीं चल। दादी की तबियत खराब होने के बाद उन्हें इंडिया आना पड़ा। और इसी के साथ उनका रिश्ता भी खतम हो गया। शायद इसी लिए रतन टाटा ने शादी नहीं की। और आजीवन कुंवारे रहे।

86 साल की उम्र में टाटा ने ली अंतिम सांस

टाटा ग्रुप के चेयरमैन रहे रतन नवल टाटा ने 86 साल की उम्र में मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में 10 अक्तूबर की रात को 11 बजे अंतिम सांस ली।1991 से लेकर 2012 टाटा ग्रुप के चेयरमैन रहे रतन टाटा। रतन टाटा की सेवानिवृत्ति के बाद टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज के सीईओ और मैनेजिंग डायरेक्टर रहे एन चंद्रशेखरन ने 2017 टाटा ग्रुप का कमान संभाला। भले ही रतन टाटा आज इस दुनिया में नहीं हैं। लेकिन उनका दरियादिली आज भी लोगों के लिए नजीर है।

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