यूं तो ज्यादातर रेप केस सामाजिक ताने बाने के कारण दर्ज होने से पहले ही खत्म हो जाते हैं और पीड़िता को जीवन भर घूंट घूंट कर जीना पड़ता है। लेकिन अगर कुछ पीड़ित न्याय के लिए अपनी आवाज मुखर करते भी हैं तो उन्हें दर दर भटकना पड़ता है। दरसल पूरा मामला जनपद मऊ के घोसी कोतवाली क्षेत्र के एक गाँव का है। जहां एक चौदह वर्षीय नाबालिग दलित किशोरी ने हथियार दिखाकर पाँच युवको द्वारा सामुहिक दुष्कर्म करने का आरोप लगाया है। जिसको लेकर पीड़िता की मां ने तहरीर दी लेकिन पुलिस ने मामले को फर्जी करार दिया।
मां के साथ दुर्गा प्रतिमा विसर्जन देखने गई थी पीड़िता
प्राप्त जानकारी के अनुसार बीते चौदह अक्टूबर की रात लगभग नौ बजे दलित किशोरी अपनी माँ के साथ दुर्गा प्रतिमा विसर्जन देखने के लिये गई थी। कुछ देर बाद उसकी माँ घर चली गई। उसी दौरान दो बाइको पर गमछा से मुँह बाधे पहुँचे पाँच युवक किशोरी को जबरदस्ती बाइक पर अगवा कर लिये व जान से मारने की धमकी दे किशोरी को लेकर फरार हो गए।आरोप है कि पांचों युवक किशोरी को डरा धमकाकर लगभग एक किलोमीटर दूर सड़क किनारे सुनसान जगह ले गए।जहां उक्त सभी आरोपियों ने हथियार दिखा किशोरी से बारी बारी दुष्कर्म किया। किशोरी को मारने पीटने के बाद देर रात एक आरोपी बाइक पर किशोरी को बैठा घर से कुछ दूर छोड़ फरार हो गया। घटना के बाद लगभग 11 बजे रात घर पहुँची किशोरी ने रो रो कर पूरी घटना अपनी मां को बताई। जिससे हड़कम्प मच गया। परिजनों ने तुरंत मौखिक सूचना स्थानीय पुलिस को दिया।उसी रात पुलिस ने जाँच का आश्वासन दिया। मंगलवार की अल सुबह स्थानीय पुलिस कुछ जगहों पर लगे सीसीटीवी से जाँच करती रही। जबकि परिजनो ने बताया कि देर शाम तक स्थानीय पुलिस मामले में हिला हवाली कर रही है। तब परेशान किशोरी की माँ ने मंगलवार की देर शाम घोसी कोतवाली में तहरीर दिया।
क्षेत्राधिकारी ने मामले को बताया पूर्णतः फर्जी
एक तरफ पीड़ित परिवार मामले को लेकर जहां दर दर भटक रहा है। वहीं दूसरी तरफ प्रशासन का कहना है कि मामला पूरी तरह से फर्जी एवं निराधार है। मामले में क्षेत्राधिकारी घोसी दिनेश दत्त मिश्रा ने फोन पर बताया कि पीड़िता अपने मौसी के घर गई थी। जहां से उसे आने में विलंब हो गया इसके बाद से उसने घर वालों के डर से सारा झूठा स्वांग रचा है।अगर क्षेत्राधिकारी घोसी के बातों पर गौर किया जाए तो सवाल यह उठता है कि क्या कोई डर किसी की अस्मिता से बढ़कर हो सकता है? जिसके लिए वह अपनी अस्मिता को दांव पर लगा दे। दूसरी बात बिना एफ आई आर पुलिस ने मामले की पूर्ण विवेचना कर कैसे पीड़िता के आरोपों को फर्जी करार दिया। यह सारे सवाल जनपद मऊ की घोसी पुलिस के ऊपर सवालिया निशान खड़ा कर रहे हैं। और सारे सवालों के जवाब तभी मिल भी सकते हैं जब मामले की पूर्ण विवेचना हो।